Bermuda triangle(IN HINDI) ,क्या बरमूडा ट्रायंगल का रहश्य मिला ?

 

Bermuda triangle

अटलांटिक महासागर(Atlantic ocean) में एक क्षेत्र है जो की बरमूडा ट्रायंगल नाम से जाना जाता है | इसका दूसरा नाम डेविल्स ट्रायंगल (devil's triangle) भी है | यह त्रिकोणीय(triangular) आकर में अमेरिका के पास (1,300,000 - 3,900,000)sq km क्षेत्र में फैला हुआ है | 

हलाकि इसका कभी एक जैसा क्षेत्रफल नहीं रहता है, कभी ये घटता है तो कभी बढ़ जाता है लेकिन इसका इसी बीच के क्षेत्रफल हमेसा देखा गया है | यहाँ के बारे मे माना जाता है की इस क्षेत्रफल से होकर जो भी पानी या हवा से होकर जाने वाली जहाजे एक रहस्मय तरीके से गायब हो जाती है |

इस क्षेत्र के बारे में इतिहास में भी लिखा गया है , जब क्रिस्टोपास कोलोम्बस 1498 ईo में जब इस क्षेत्र से गुजर रहे थे तब उनके साथ भी कुछ रहस्मय घटना हुए, जैसे उनका कंपास( जो की दिशा बताने का काम करता है) , वो काम करना बंद कर दिया था |,और वहाँ पे मौसम बदलने लगा, बदल गरजने लगे, पानी की लहरें  उठने लगी जिस वजह से उनका जहाज संतुलन खोने लगा था | 

वैसे तो इस क्षेत्रफल के अंडर बहुत साडी अप्रिय घटना हो चुकी है ,लेकिन यहाँ पे एक बहुत ही प्रशिद्ध घटना हुई 1942 ईo के अगस्त महीने में अमेरिका का एक जहाज को कही पे बॉम्बार्डमेंट कर के बरमूडा ट्रायंगल से लौटना था,लेकिन अच्चानक उनका संपर्क वहाँ के रेडियो स्टेशन से टूट जाता है, उसका अचानक सभी मशीन काम करना
बंद कर देता है | और वो गायब हो जाता है ,फिर उसको खोजने के लिए एक रेस्क्यू टीम 2 दिन बाद भेजा जाता है पर वो भी गायब हो जाता है क्योकि वो भी उसी रस्ते से जा रही होती है | 

फिर से ठीक छः महीने बाद 1942 ईo के दिसंबर महीने में एक बमबर्सक जहाज़ बरमूडा ट्रायंगल के ऊपर से जाता है पर इसके साथ भी वही होता है जो बांकी सब के साथ हुआ ,सभी नेविगेशन सिस्टम काम करना बंद कर देता और मौसम ख़राब हो जाता है ,इसके पीछे रेस्क्यू टीम खोज करने वाली जो गयी थी उसका भी आजतक कुछ पता नहीं चला है | 

वहाँ से बस एक ही पॉलेट लौट के आये थे जिनका नाम ब्रूस गेर्नोन (Bruce gernon) था | जिनका कहना था की जब वो बरमूडा ट्रायंगल में प्रवेश कर रहे थे तब पूरा बादलो का कुहरा सामने आ गया था और ऐसा लग रहा था जैसे वो बदलो की गुफा में जा रहे है | और इनके जहाज का सारा इलेक्ट्रॉनिक्स काम करना बंद कर दिए थे और इनके जहाज की रफ़्तार बहुत तेज हो गयी थी करीबन 3000 km/h और वो 3 min. में 150 km पार कर लिए, जो की अभी किसी भी पैसेंजर जहाज के लिए नामुमकिन है, यह रफ़्तार सिर्फ लड़ाकू विमानों और मिसाइल में दी गयी है | इतना सब होने के बाद भी वो अपने जहाज को सीधा ले जाते रहे कुछ देर बाद वो खुद निकल गए वहां से |

बहुत लम्बे दिनों तक लोगो को लगता था की यहाँ पे कोई अदृश्य शक्ति है जो जहाजों को अपनी ओर खींच लेती है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है यह कोई शक्ति नहीं इसके पीछे बहुत सारे तर्क छुपे है जिसको की हम लोग नीचे पॉइंट्स में जानने वाले है | :-

  • जहाजों का जो मलवा है वो सब कही गयाब नहीं हुआ है वो सब समुन्द्र तल पे बैठा है | 
  • बरमूडा ट्रायंगल के नीचे ज्वालामुखी है जो जबभी बिस्फोट करती है तो कुछ जहरीली गैस जैसे की मीथेन निकलती है और यह गैस जब भी पानी से मिलती है तो पानी की घनत्वों (density) को पूरा घटा देता है , और जहाजों को डिज़ाइन किया जाता है समुन्द्र के घनत्वा के हिसाब से, तो वो जहाजे जैसे ही कम घनत्वा वाले समुन्द्र में जाती है तो वो डूब जाती है | इसी वजह से अगर वहाँ कोई तैरना भी चाहता है तो नहीं तैर पाता है और वो भी डूब जाता है | 
  • वहाँ पे छोटे छोटे पहाड़ है जिसमे की हवाये टकराती है और वह बवंडर का रूप धारण कर लेती है जिस वजह से समुद्री पानी को लहर में बदल देते है और वह बादलो तक पहुंच के वहां का मौसम भी बदल देते है|
  •  इसी चक्रवात के बीच में अगर कोई हवाईजहाज आजाती है तो वो भी डूब जाती है | 
  •  पानी वाली जहाजों के डूबने का एक और भी कारन है की समुन्द्र के अंडर की पहाड़िया जो बहार तक नहीं निकल पाती है उन्हें हम कटक कहते है ,उसमे जहाजे टकरा जाती है |  
  •  हवाईजहाजै के गिरने का एक और कारन है हेक्सागोनल आकर की बादलो का है इसका क्षेत्रफल 50 sq.km होती है जिसके अंडर काफी तेज लगभग 250km/h की चलती है, जीस वजह से कोई जहाज अगर इसके हवाओ के विपरीत आता है तो हवाएं उसे तोड़ देती है और अगर कोई उसके हवाओ के साथ चलता है तो उसकी गति बहुत तेज हो जाती है | 


NOTE :- ये सब अप्रिय घटनए पहले हुआ करती थी अब ये सब नहीं होती है क्योकि पहले की समय में न तो अच्छे मशीन थे न अच्छे रडार थे न अच्छे नेविगेशन सिस्टम थी पर अब सभी कुछ उपलभ्ध है जिस कारन अब बरमूडा ट्रायंगल के  ऊपर से भी बहुत सारी जहाजे पार करती है बिना क्षयग्रस्त हुए | अब अगर जहाजे गिरती है तो या तो पॉलेट की गलती से या तो फिर दिशा बताने वाले की लापरबाही के वजह से |

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