The earth in the solar system in Hindi ( सौर मंडल में पृथ्वी)

 सूर्य अस्त के बाद आसमान का दृश्य बहुत ही अच्छा होता है | शुरुआत में अगर कोई ध्यान से देखे तो उसे पहले तो एक या दो टिमटिमाते बिंदु जैसा तारे दिखई देती है | उसके बाद धीरे-धीरे पूरा आसमान तारो से भर जाता है, इतना की उसके बाद इसके गिनती करना संभव नहीं होता है | उनमे से कुछ तारे टिमटिमाते है तो कुछ बस चन्द्रमा के जैसे चमकते है |

इन सभी चमकदार तारो के आलावे हम लोग आसमान में लगभग दिन चाँद को भी देखते है | चाँद हमेशा अलग-अलग समय पे उगता है | इसका हर एक दिन दूसरा-दूसरा आकर भी रहता है | पूरा चाँद सिर्फ महीना के एक ही दिन दिखाई देता है जिसको की हम लोग पूर्णिमा बोलते है और अंग्रेजी में फुल मून(full moon) | ठीक इसके दो हफ्ता के बाद हम लोग चाँद को नहीं देख पाते है |  जिस दिन चाँद बिलकुल भी नहीं दिखे उसदिन को हम लोग अमावस्या नाम से जानते है जिसको की अंग्रेजी में न्यू मून(new moon) कहते है |अमावस्या के रात ही आसमान बहुत ही चमकदार दिखाई देता है | 

क्या हम लोगो ने कभी यह ध्यान दिया की दिन के समय कभी ये चन्द्रमा और तारे क्यों नहीं दिखाई देता है ?


हम लोग दिन के समय में चाँद और तारो को इसलिए नहीं देख पाते है क्योकि दिन के समय सूर्य की चमकदार रोशनी, रात की चमकदार तारो से ज्यादा तेज होती है | 

सूर्य , चन्द्रमा और जो भी वस्तु आसमान में रात के समय में चमके उसे हम लोग खगोलीय पिंड (celestial bodies) के नाम से जानते है | 

कुछ खगोलीय पिंड तो आकर में काफी बड़े और गर्म होते है, जो की गैस के बने होते है | उनके पास अपना गर्मी और प्रकाश होता है जिसे वो बहुत ही बड़े मात्रा में फैलता है | ये सब विशेस्तए जिन खगोलीय पिंड के पास रहे यानि की वो एक तारे(stars) है | सूर्य भी एक प्रकार का तारा है | 

चमकदार चमचमाते तारे बिलकुल सूर्य के जैसे होते है फिर भी हम लोग उसका प्रकाश और गर्मी और वो बहुत छोटे भी दीखते है क्योकि वो सूर्य से बहुत दूर होते है |

रात के समय में अगर हमलोग आसमान की और ध्यान से देखे तो तारो का समूह दिखेगा जो अलग-अलग प्रतिरूप(pattern) बनता है उसको हमलोग इंग्लिश में कॉन्स्टलेशन्स(constellations) कहते है | उनमे से सबसे पहले ध्यान में आने वाले कॉन्स्टेलशन सप्तऋषि है जो की सात तारो का समूह है जो उर्स मेजर का एक भाग बनता है | 

पुराने समय में लोग दिशा का पता इन तारो से ही पता करते थे | उत्तरी सितारा जिसका की नाम ध्रुव तारा है जो उत्तर दिशा का ज्ञात करवाता है | यह हमेशा आसमान में एक ही स्थान पे रहता है | हमलोग ध्रुव तारा का पता सप्तऋषि से भी पता लगा सकते है | 

कुछ खगोलीय पिंड के पास अपना गर्मी और प्रकाश नहीं होता है | वो चमकते है तारो से प्रकाश ले कर उनेह हम ग्रह (planets) कहते है | प्लेनेट शब्द ग्रीक शब्द प्लानटाई से आई है जिसका मतलब होता है राणान्ता जोगी (wanderers) होता है | ग्रह जिसपे हम लोग रहते है उसका नाम पृथ्वी है | यह अपना सारा प्रकाश और गर्मी सूर्य से लेता है जो की हमलोगो का सबसे नजदीकी तारा है | अगर हम लोग पृथ्वी को बहुत दूर जैसे की चाँद से देखे तो यह हमे चाँद की तरह चमकता दिखेगा | 

चाँद जिसे हमलोग आसमान में देखते है वह एक उपग्रह है जो पृथ्वी के चारो और घूमता है | बिलकुल पृथ्वी के जैसे सात ऐसे ही ग्रह और उनके उपग्रह\ है जो गर्मी और प्रकाश सूर्य से लेते है |


सूर्य 

हम लोग जिस सौर मंडल में रहते है उसे आकाशगंगा(milkey way) नाम से जानते है | जिस सौर मंडल में हम लोग रहते है, उसमे सूर्य सभी ग्रहो के बिलकुल बीच में आती है | यह सौर मंडल बहुत बड़ा है और बहुत ही गर्म गैस का बना हुआ है | इसके पास एक अपना बल है जिससे पूरा सौर मंडल बंधा होता है | सूर्य को इस सौर मंडल का गर्मी और प्रकाश का अखंड स्रोत माना जाता है | लेकिन फिर भी इसके इतना अधिक गर्मी होने के बाद भी हमलोग उतना महसूस नहीं करते है जबकि सूर्य को सबसे नजदीकी तारा भी बोला जाता है क्योकि यह हमलोगो से फिर भी से काफी दूर है | इसकी दूरी 150 मिलियन है | 


ग्रहए 

हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह है | सभी सूर्य से अलग-अलग दूरी पर है | इसके ग्रहो के नाम सूर्य से दूरी के अनुसार कुछ इस प्रकार है | :- बुध(mercury), शुक्र(venus), पृथ्वी(earth), मंगल(mars), बृहस्पति(jupiter), संनि(saturn), अरुण(uranus), नेपच्यून(neptune). 

ये सभी के सभी ग्रह इस सौर मंडल के सूर्य के चारो ओर परिक्रिया लगते है | इनमे से बुध ग्रह सूर्य के सबसे नजदीक होता है | बुध सिर्फ 88 दिन का ही समय लेता है पूरी तरह एक बार सूर्य का परिकर्मा लगाने में | शुक्र ग्रह को पृथ्वी का जुडवा बतया जाता है क्योकि इसका आकर लगभग पृथ्वी जितना ही है | 

अगस्त 2006 से पहले प्लूटो जिसे की एक ग्रह मन जाता था |, अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ(International Astronomical Union) के मीटिंग के दौरान  एक प्रस्ताव पारित हुआ जिसमे बताया गया की प्लूटो ग्रहो के समूह से हटा कर खगोलीय पिंड के दर्ज में रख दिया (ceres, 2003 UB313) सैन्टिफिक नाम दिया | इसको बौना ग्रह (dwarf planet)  से भी जानते है |



पृथ्वी 

पृथ्वी तीसरा सूर्य से नजदीकी ग्रहो में से एक है | आकर के अनुसार यह पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है | इसके आकर को जिओइड(Geoid) कहते है क्योकि यह अपने भूगोलिक ध्रुव के पास थोड़ा चपटा है | जिओइड का मतलब ही होता है कुछ ऐसा जो पृथ्वी के आकर का हो | जीवन जीने के सारे अनुकूलित इस्तिथि इसी ग्रह पे पाए जाते है | यह न तो पूरी तरह गर्म है और न ही पूरी तरह ठंढा है | इसमें पानी और हवा बहुत ही आसानी से मिल जाता है जो की बहुत आवश्यक है जीवन जीने के लिए , हवा में जीवन सहायक गैस ऑक्सीजन पाई जाती है | इन्ही सब अच्छे कारणों से पृथ्वी इस सौर मंडल में एक अनोखा ग्रह है | 

सौर मंडल से देखे जाने पे पृथ्वी पूरी तरह नीली रंग का दिखाई देती है क्योकि इसके दोतिहाई हिस्सा पूरी तरह पानी से भरा हुआ है जीस वजह से इससे हम नीला ग्रह के नाम से भी जानते है |


चँद्रमा

हमारे ग्रह पृथ्वी के पास सिर्फ एक उपग्रह है जिसका नाम चाँद है | इसकी व्यास(diameter) सिर्फ पृथ्वी के एकचौथाई है | यह फिर भी बहुत बड़ा दीखता है इसका एक ही कारन है की यह हमारे ग्रह पृथ्वी के काफी करीब है दूसरे खगोलीय पिंडो के मुकाबले | यह हमलोगो से 

मात्र 3,84,400 km दूर है | यह काम इसलिए है क्योकि इसको सूर्य के दूरी से तुलना करे तो उसके सामने काफी कम है | 

चाँद, पृथ्वी का चक्कर 27 दिन में लगता है | यह उतना ही समय अपने आप में घूमने में लेता है जीस वजह से चाँद का सिर्फ एक भाग ही हमलोगो को दिखाई देता है | 

चन्द्रमा के पास जीवन जीने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है | इसपे जगह जगह पहाड़ है तो कही कुछ ज्यादा ही गड्ढा , इन्ही करने के वजह से इस्पे परछाई बनती है जो की पूर्णिमा(full moon) के दिन आसानी से देखा जा सकता है | 

 

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